tag:blogger.com,1999:blog-2000143847990281926.post723608716852741302..comments2023-09-11T02:11:57.508-07:00Comments on प्रतिरोध की जमीन: हमज़मींन :- 'एकता' का पैग़ाम , बर्फ़ीली पड़ती इंसानियत के नाम Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/07489379487624216085noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-2000143847990281926.post-19482239192926163612015-02-23T04:55:32.345-08:002015-02-23T04:55:32.345-08:00खुकु,
टिप्पणी का अंतिम हिस्सा देखा क्या?
दादा खुकु,<br /><br />टिप्पणी का अंतिम हिस्सा देखा क्या?<br /><br />दादा sheelwanthttps://www.blogger.com/profile/03529179837237059721noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2000143847990281926.post-81918060849186427852015-02-21T10:49:30.407-08:002015-02-21T10:49:30.407-08:00प्रिय खुकु,
अच्छी कम्पल्सिव अंग्रेजी लिखने के लिए ...प्रिय खुकु,<br />अच्छी कम्पल्सिव अंग्रेजी लिखने के लिए विलियम ज़िन्न्सर की किताब "ऑन राइटिंग वेल" पत्रकारों की बाईबिल मानीजाती है. मेरे सुझाव उसी किताब पर आधारित हैं.<br />१. काम्प्लेक्स सेंटेंसेस के बजाय सिम्पुल सेंटेंसेस बेहतर संवाद करते हैं.<br />२.बड़े भारीभरकम शब्दों के बजाय साधारण रोजमर्रा के शब्द बेहतर संबाद करते हैं.<br />३. जितने कम शब्दों में अपनी बात कहोगे, संवाद उतना ही शक्तिशाली होगा, कम्पल्सिव होगा.<br />४. लेख लिखलो. फिर हर उन शब्दों को काट दो जो जरूरी नहीं हैं. अपने संवाद को अक्षुण रखते हुए जितने शब्दों को कम करोगे , तुम्हारा सम्प्रेषण उतना ही जोरदार होता जायेगा.<br />४.अपनी बात को कभी भी किसी भी सूरत में दुहराओ मत. यह पाठक को खिजाता है गोया उससे कहता हो "तुम बवकूफ हो."<br />५.कभी भी वह चीज मत लिखो जो पाठक जानता है या जिसका वह अंदाजा लगा सकता है.<br />६.पैसिव वोयस की जगह एक्टिव वोयास का इस्तेमाल करो.यह पाठक के जेहन में चित्र उकेरता है जो कोम्पल्सिव लेखन का अत्यावश्यक अंग है.<br />७. एक्टिव क्रियाओं का इस्तेमाल करो. ये भी जेहन में इमेज बनाती है, जबरदस्त संवाद करती हैं.<br />८.एक राइटिंग प्रोजेक्ट में चार-पांच विचार देने की कोशिश मत करो , दो भी नहीं, सिर्फ एक विचार दो. फैसला करो तुम कौन सा विचार (आईडिया) देना चाहते हो. उसे पूरी सिद्दत से कहो. अपने प्रोजेक्ट को देश, काल और व्यति में रिड्यूस करो - एक व्यक्ति की एक लक्ष्य को हासिल करने की जद्दोजेहद. तुम्हारे लेख का फोकस और शार्प हो जायेगा, वह जबरदस्त कम्पल्सिव प्रोज बन जायेगा. उसे इग्नोर करना मुश्किल से मुश्किलतर होता जायेगा.<br />९.और अंत में - लेखन का निचोड़ है पुनर्लेखन. जोरदार लेखक अपने लेखन को दर्जनों बार काटते-पीटते हैं, घटाते-बढ़ाते हैं,चुस्त-दुरुस्त करते हैं. कोई भी लेख दुनिया के सामने तब तक न आने दो जब तक वह तुम्हें पूरी तरह से संतुष्ट न कर दे. याद रखो लेखन की दुनिया में रेस क्वालिटी के लिए है,जल्दबाजी में कुछ भी लिख देने के लिए नहीं.<br /><br />दादा sheelwanthttps://www.blogger.com/profile/03529179837237059721noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2000143847990281926.post-80129856211168701492015-02-21T04:39:38.174-08:002015-02-21T04:39:38.174-08:00प्रिय खुकु,
आज तुम्हारे सारे ब्लागों को पढ़ा. विषयो...प्रिय खुकु,<br />आज तुम्हारे सारे ब्लागों को पढ़ा. विषयों का चुनाव अच्छा लगा. तुम्हारे लिखावट की लय भी अच्छी लगी. मुझे पता नहीं कि अच्छी, प्रेरक हिंदी कैसे लिखते हैं. पर अच्छी कम्पल्सिव अंग्रेजी के कुछ गुण मुझे मालूम हैं. शायद वो तुम्हारे कुछ काम आयें. अभी मैं जल्दी में हूँ. मौका मिलते ही मैं तुम्हें लिखूंगा.<br /><br />दादा<br />sheelwanthttps://www.blogger.com/profile/03529179837237059721noreply@blogger.com