'कभी - कभी '.....!!!
कभी-कभी ज़ेहन में कई सवाल उठते है,
कई ख्याल आते है,
पिछ्ली धोखे की तबाही को लेकर....!!!
( पर एक बार फिर, ये कमबख्त शब्द )
'लेकिन'
किससे की जाए ये बातें.....!!!
भरोसे का चीराग आँखों में लिए.....!!
लबों से लेकर दिल तक की जुबां को बन्द कर जाती है।
और एक बार फिर,
लाखों लोगों के बीच, एक अकेलापन;
दिल में सिमट कर,
खुद को एक झूठी मुस्कान की चादर से ढ़क लेता है।
स्वाती सिंह
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