शनिवार, 30 अगस्त 2014

'लव जिहाद'की बाढ़

'लव जिहाद' जो आजकल हर टीवी चैनल के साथ सोशल मीडिया में जोरों पर छाया हुआ है। हर तरफ जहाँ, लव जिहाद पर बहस तेज़ी पकड़ रही है।वहीँ दूसरी तरफ, चैनलों पर हर समय बहस-चौपाल सज रहा है और सोशल मीडिया की वाल पर हर कोई अपने विचार की छाप छोड़ रहा है। समाज के बुद्धिजीवी वर्ग से लेकर हाका-वर्ग तक, सभी के विचारों की मानो बाढ़ सी आ गई है। सभी दीवारों को अपने-अपने हिसाब के रंगों से रंग देने की होड़ में है। इनकी कवरेज से चैनलों की टीआरपी बढ़ रही है तो वहीं फेसबुक में लाइक और शेयर के आप्सन कम लगने लगे है।लेकिन इस बाढ़ की वजह वास्तव में सिर्फ बारिश ही है या कुछ और इसका पता अभी तक नहीं चल पाया है।
'लव जिहाद'जिसे 'रोमियो जिहाद'के नाम से भी जाना जाता है,जहाँ 'जिहाद' का मतलब होता है-'धर्मयुद्ध'।साधारण से शब्दों में,जब कोई मुस्लिम लड़का किसी गैर-मुस्लिम को प्यार का झासा देकर लड़की को धर्म-परिवर्तन के लिए मजबूर करे,तो इसे 'लव जिहाद'कहते है।2009 में केरल और कर्नाटक में सबसे पहले,लव जिहाद सम्बन्धित एक केस की शिकायत दर्ज की गई थी।लेकिन सीबीआई जांच के बाद पता चला कि ये एक अफवाह थी,जिसमें कोई गिरोह शामिल नहीं था।
ठीक उसी तरह,अगस्त 2014 में,रांची से एक ऐसा केस सामने आता है। तारा साहदेव का केस।तारा जो एक राष्ट्रिय-स्तर की गोल्ड मेडलिस्ट शूटर है। तारा की शादी जून 2014 में रंजीत कुमार कोहली नाम के शख्स के साथ हुई। शादी के बाद,रमजान के महीने में तारा को पता चलता है कि उसका पति मुस्लिम है,जिसका नाम रकीबुल हसन खान है। तारा को भी अपना धर्म-परिवर्तन करने के लिए एक महीने तक लगातार प्रताड़ित किया गया।आखिर, एक दिन तारा ने अपनी चुप्पी तोड़ी और दुनिया के सामने अपने फरेबी पति का सच रखा।
तारा ने रकीबुल से जुड़े कई चौका देने वाले खुलासे किए।जिनके आधार पर पुलिस में रकीबुल को तीन दिन की रिमांड पर ले लिया है। तारा ने बताया कि रकीबुल लड़कियों की सप्लाई भी करता था,जिसे न केवल रकीबुल में कबुल किया है बल्कि 34 सरकारी अधिकारों के नाम भी बताए है जिन्हें वो लड़कियां सप्लाई करता था। रकीबुल के पास अरबों की सम्पत्ति भी मिली है,जिनके आधार पर ये माना जा रहा है कि रकीबुल का जाल काफी दूर के ऊंचे टीलो तक फैला है।
ये तो अब तक की खबर थी और बाकी की खबर लेने के लिए सीबीआई कार्यरत है। लेकिन एक बात समझ नहीं आती कि अभी तक सारे तथ्य सामने नहीं आए है और इसके आने से पहले ही सबने अपने पसंदीदा मुद्दे-'धर्म' को पकड़ लिया है। फेसबुक पर धर्म-बचाओ के जैसे आन्दोलन छिड गये है जिनके समर्थन के लिए बकायदा कई पेज भी बनाये गये है।जिसमे कई भड़काऊ पोस्ट भी की जा रही है। इतना ही नहीं, कई संगठन भी सड़को पर उतर कर आये दिन हंगामा किए जा रहे है।अब भाई इतना सब हो और हमारे तथाकथित पूजनीय वर्ग कैसे पीछे हो सकते है?तो नेता भी अपनी विरोधी पार्टी पर कीचड़ उछाल रहे है और साधु-संत एक हिन्दू लड़की के बदले सौ हिन्दू लड़की की बात कर रहे है। क्या नेता और क्या साधु यहाँ तक की मीडिया भी जिन्हें हमारे समाज का अगुआ कहा जाता है,सब कीचड़ बनाने और उसे उछालने की प्रक्रिया में जुट गये है।
आखिर,सारे तथ्यों के सामने आए बिना समाज के अगुआ वर्ग का ये पशुवत व्यवहार कितना उचित है? ये जानते हुए कि धर्म जैसे सम्वेदनशील मुद्दे की आग फ़ैला देने से कोई लाभ नहीं होने वाला। हाँ हमारी व्यवस्था के उन कर्मचारियों के कच्चे चिठे सामने आने से पहले जरुर जल जायेंगे जो वास्तव में ऐसी आग की चिंगारी भड़काने का काम कर रहे है।

स्वाती सिंह


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